भारतीय सिनेमा की मेरेलिन मुनरो कही जाने वाली मधुबाला ने अपने करियर का शुभारंभ एक बाल कलाकार के रूप में किया था। ‘बसत’ और ‘ज्वार भाटा’ जैसी कई फिल्मों में काम करने वाली मधुबाला का वास्तविक नाम मुमताज था। ‘बाम्बे टॉकीज’ की मालकिन देविका रानी ने ‘बसंत’ में मुमताज को एक बाल कलाकार के रूप में पहला अवसर दिया था और बाद में हीरोइन के रूप में भी देविका रानी ने ही इस बाल कलाकार को अपनो कपनों की फिल्म ‘दिल की रानी’ में पहला अवसर दिया था। हीरोइन के रूप में राजकपूर क साथ अवसर देने के साथ ही देविका रानी ने मुमताज का नाम बदल कर मधुबालाकर दिया था।
कहा जाता है कि कइ कारणों से फिल्म का नाम ‘दिल की रानी’ से बदल कर ‘नीलकमल’ कर दिया गया था और इस प्रकार 1947 में प्रदर्शित ब्लैक एंड व्हाईट फिल्म ‘नीलकमल’ मधुवाला की पहली फिल्म थी। 1947 में ही मधुबाला की एक और फिल्म ‘खूबसूरत’ भी प्रदर्शित हुई थी। ‘खूबसूरत’ में मधुबाला के हीरो उस जमाने के जाने माने अभिनेता वास्ती थे।
‘नील कमल’ में पहला अवसर मधुबाला को कठिनाइयों के बाद हासिल हो पाया था। केदार शर्मा इस फिल्म के निर्देशक थे और फिल्म को जाने गाने फिनांगर चंदूलाल शाह फिनांस कर रहे थे। एक दिन चंदूलाल ने केदार शर्मा से पूछा कि वे ‘नीलकमल’ में राज कपूर के साथ किसे हीरोइन ले रहे हैं तो शर्मा जी ने कहा कि वे नयी अभिनेत्री मधुबाला को ले रहे हैं। यह सुनने के बाद चंदूलाल शाह हक्का बक्का रह गए और शर्मा जी से बोले ‘नयी हीरोइन को लिया तो हमारी पिक्चर को खरीदार कहा से मिलेंगे। कोई नामचीन अभिनेत्री को ले लो।’ शाह ने मुझाव दिया लेकिन शर्मा जी ने कहा- ‘हीरोइन तो मधुबाला ही रहेगी’ यह सुनकर फिनांसर शाह उखड़ गए, और उन्होंने ‘नीलकमल’ पर पैसा लगाने से साफ इकार कर दिया।
केदार शमां ने राज कपूर और मधुबाला को लेकर ही ‘नीलकमल’ को पूरा किया और रिलीज किया। फिल्म सफल रही और मधुबाला पहली फिल्म से हो स्टार बन गयी। फिल्म व्यवसाय के बड़े-बड़े निर्माता-निर्देशक मधुबाला के अभिनय से प्रभावित हुए और दर्शक तो मधुबाला की मुस्कान के दीवाने हो चुके थे। ‘नीलकमल’ के बाद मधुबाला ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 1947 से लेकर 1964 तक 17 वर्ष तक मधुबाला सिनेमा के परदे पर अपने अभिनय का जादू जगमगाती रही। एक के बाद एक करके मधुबाला की फिल्में आती रहीं और 17 वर्षों के करियर में मधुचाता ने 47 फिल्मों में अभिनय किया जिनमें ‘नया दौर’ और ‘मुगल-ए-आजम’ जैसी कितनी ही फिल्में मील का पत्थर साबित हुई। मधुबाला की इन फिल्मों में ‘अनर प्रेम’, ‘लालच’, ‘दौलत’, ‘परदेश’, ‘आराम’, ‘खजाना’, ‘नादान’, ‘तराना’, ‘संगदिल’, ‘रेल का हिख्या’, ‘अमर’ ‘मि. एंड मिसेज 55’. ‘ढाकं का मलमल’, ‘गेटवे ऑफ इंडिया’, ‘यहूदी की लड़की’, ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘फागुन’, ‘इंसान जाग उठा’, ‘बरसात को रात’, ‘मुगल-ए-आजम’, ‘इंसानियत’ ‘काला पानी’, ‘हाफ टिकट’, ‘शराबी’ जैसी अनगिनत फिल्में शामिल हैं।