फिल्मों से ज्यादा अपने हेयर स्टाइल के लिए जानी जाती रही। उनके हेयर स्टाइल को कई लड़कियां फॉलो करती रही। साधना हेयरकट आज भी फेमस है. है.दरअसल, चौड़े माथे के कारण लव इन शिमला फिल्म के डायरेक्टर आरके नय्यर ने फिल्म के लिए उन्हें यह हेयरस्टाइल अपनाने को कहा. बाद में उनकी यह फिल्म और साधना का हेयरस्टाइल बहुत पॉपुलर हुआ. 14 साल की उम्र में राज कपूर की फिल्म श्री 420 से बॉलीवुड डेब्यू किया था. इस फिल्म में वे एक गाने में कोरस गर्ल के साथ नजर आई थीं. इस छोटी सी झलक के बाद उन्होंने पहली भारतीय सिंधी फिल्म ‘अबाना’ में काम किया. अबाना के लिए उन्हें एक रुपए का टोकन बतौर मेहनताना दिया गया. साधना का नाम उनके पिता ने अपनी पसंदीदा डांसर साधना बोस के नाम से प्रेरित होकर रखा था. 1963 की ब्लॉकबस्टर फिल्म मेरे मेहबूब में साधना ने हुस्न बानो का यादगार किरदार निभाया था. दरअसल, फिल्म में बुर्का पहने लुक में दर्शकों ने उन्हें खूब पसंद किया. साधना के फिल्मी करियर की आखिरी फिल्म उल्फत की नई मंजिलें थीं. यह फिल्म 1994 में आई थी.उनके गाने ‘झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में’, अभी ना जाओ छोड़कर और लग जा गले गाने बॉलीवुड के सदाबहार गानों में शुमार हैं. 1966 में साधना और आरके नय्यर ने शादी की.कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक साधना आंखों के डिस्ऑर्डर ‘हाइपरथाईरॉडिज्म’ से जूझ रही थीं. यही वजह है कि फिल्मों को अलविदा कहने के बाद उनके बारे में मीडिया में कम ही चर्चा हुई. उन्होंने अपनी फोटो खींचने से मना कर दिया था.
ऑफिस पर साधना की कई फिल्मों ने अच्छा परफॉर्म किया, लेकिन इसके बावजूद साधना को कभी अवार्ड्स नहीं मिले. हां, फिल्म वो कौन थी और वक्त के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस कैटेगरी में चुना गया था. साल 2002 में IIFA ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में योगदान देने के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा था. उनका निधन दिसंबर 2015 में हिंदुजा अस्पताल में हुआ.
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